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पिक्चर 'तू झूठी मैं मक्कार'

  • Writer: Dr. Dinesh Chandra Khandelwal Sociology
    Dr. Dinesh Chandra Khandelwal Sociology
  • Jun 29, 2023
  • 2 min read

आज टीवी पर सोनी मैक्स पर पिक्चर 'तू झूठी मैं मक्कार' देखी।


पिक्चर पारिवारिक मूल्यों को प्रधानता प्रदान करती है। परिवार में प्रेम, स्नेह, त्याग, सेवा, समर्पण और एक दूसरे की देखभाल की भावना की पुष्टि करती है। परिवार के सदस्यों के खातिर सदैव किसी भी प्रकार के त्याग करने को तैयार रहने को प्रेरित करती हैं।


पिक्चर की कहानी प्रशंसनीय, गीत और संगीत भी पसंद है परंतु समझ नहीं आ रहा आजकल के निर्माता और निर्देशकों को क्या हो गया है। इस पिक्चर के निर्माता और निर्देशक एक ही व्यक्ति श्री लव रंजन है। अच्छी कहानी को घटिया तरीके से निर्माता-निर्देशक ने प्रस्तुत किया है। पिक्चर में अनेक ऐसे लव सीन है, जिनकी कहानी में कहीं मांग नहीं थी। उन लव सीन के बगैर भी कहानी को बहुत अच्छे ढंग से प्रस्तुत किया जा सकता था।


सब मिलाकर एक अच्छी कहानी को उसके निर्माता-निर्देशक के प्रस्तुतीकरण के तरीके ने ऐसी फिल्म बना दिया है जिसको संयुक्त परिवार के मूल्यों को मानने वाले लोग जहां सम्मान का एक झीना पर्दा है। जहां एक दूसरे की आंख की शर्म है। वह सामूहिक रूप से सिनेमा हॉल में जाकर फिल्म नहीं देख सकते। घर में भी इसे अपने बच्चों, बहू, पोते, पौतियों के साथ सामूहिक रूप से नहीं देखा जा सकता है।


हम सबको अपनी टिप्पणियों के माध्यम से इस बात के लिए निर्माता-निर्देशक को बाध्य करना चाहिए कि वह एक अच्छी कहानी को जबरदस्ती युवा पीढ़ी में लोकप्रिय बनाने के चक्कर में उसका प्रस्तुतीकरण घटिया स्तर का कर दें।


इस देश में बहुत सारी पारिवारिक मूल्यों की पिक्चरें बनाई गई है जिनको पूरे परिवार ने साथ बैठकर देखा है और वह बॉक्स ऑफिस पर बहुत सफल भी हुई है।


फिल्म के अंतिम भाग में जब लड़की को मनाने के लिए पूरा परिवार एयरपोर्ट जाता है तब भी लड़के और लड़की के मध्य जो लव सीन दिखाया जाता है उसको भी किसी और अच्छे तरीके से अभिव्यक्त किया जा सकता था।इसके अंतिम भाग के कुछ संवाद भी निन्दनीय है।


अब तो परिवार के साथ सामूहिक रूप से सिनेमा हॉल में, घर में टीवी पर पिक्चर देखने में डर लगने लगा है कि कौन सा ऐसा सीन अचानक आ जायेगा जो हमारे मध्य अजीब स्थिति निर्मित कर देगा।

 
 
 

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